चुनाव के समय सरकार से सवाल करत मनोज भावुक आ प्रियंका सिंह के नयका छठ गीत ‘पलायन के दर्द : सुनs ए छठी मइया’ रिलीज भइल
बिहार में चुनाव के माहौल के बीच सुप्रसिद्ध गीतकार मनोज भावुक आ भोजपुरिया गायिका प्रियंका सिंह के आवाज में एगो नयका छठ गीत ‘पलायन के दर्द : सुनs ए छठी मइया’ रिलीज भइल बा। ई गीत में मनोज भावुक समाज आ सरकार से जरूरी सवाल पूछत बानीं —
“कब ले पलायन के दुख लोग झेले?
कब ले सुतल रहिहें एमपी-एमेले?”
ई गीत सुनते ही लोगन के दिल छू जाला आ सोचे पर मजबूर कर देला।
मनोज भावुक के लिखल मर्मस्पर्शी बोल के संगीत विनीत शाह देले बानीं।
गीत प्रियंका सिंह के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जारी भइल बा।
🎧 YouTube लिंक: https://youtu.be/ikvWveq6On4?si=ZifrA4XfRzAlT4R
🎵
गीत के कुछ पंक्तियाँ:
कब ले पलायन के दुख लोग झेले,
कब ले सुतल रहिहें एमपी-एमेले,
गाँवे खुलs करखनवा हो, सुनs ए छठी मइया,
असहूँ ना अइले सजनवा हो, सुनs ए छठी मइया।
गाँवे में कब मिली रोजी-रोजगार हो,
का जाने, कब जागी यूपी-बिहार हो,
छछनेला रोजे परनवा हो, सुनs ए छठी मइया,
असहूँ ना अइले सजनवा हो, सुनs ए छठी मइया।
💭
गीत के थीम आ संदेश
ई गीत में मनोज भावुक पलायन के दर्द के गहराई से उजागर कइले बानीं।
उपी-बिहार के लाखों लोग जे रोजी-रोजगार खातिर अपना गाँव-घर से दूर रहेला, ऊ सबके पीड़ा एह गीत में साफ झलकेला।
गीत में ऊ बतवले बानीं कि पलायन सिरिफ गाँव में अकेली रह गइल ब्याहता के दर्द ना, बलुक बूढ़ माता-पिता के जिनगी के भी बड़ा घाव बा —
बुढ़वो आ बुढ़िया त रस्ता निहारें,
दिन-रात बबुआ हो बबुआ पुकारें,
बरिसत रहेला नयनवा हो, सुनs ए छठी मइया,
असहूँ ना अइले सजनवा हो, सुनs ए छठी मइया।
नयका ब्याहता के पीड़ा भी एह गीत में भावुक शब्दन में उतारल गइल बा —
ना दिहले गोदी में कवनो खेलवना,
जरतानी दिन-रात जरे जस लवना,
झूठो के लागल लगनवा हो, सुनs ए छठी मइया,
असहूँ ना अइले सजनवा हो, सुनs ए छठी मइया।
🌾
गीत के सार
ई गीत एह बात के ओर इशारा करेला कि यूपी-बिहार के लोगन खातिर पलायन सदियन से अभिशाप बनल बा — कभी गिरमिटिया मजदूर बन के, त कभी भिखारी ठाकुर के ‘बिदेसिया’ के रूप में।
गीत में ई प्रार्थना कइल गइल बा कि अब गाँव-घर में रोजगार के अवसर बनो, ताकि लोगन के आपन माटी छोड़ के बिदेस ना जाए के पड़े।
💬
लोगन के प्रतिक्रिया
ई गीत रिलीज होत सोशल मीडिया पर धूम मचवले बा।
फैंस प्रियंका सिंह के मीठ आवाज आ मनोज भावुक के अर्थपूर्ण बोल के खूब तारीफ करत बानीं।
मनोज भावुक के गीतन में सदा से साहित्य, सवाल, सरोकार आ माटी के खुशबू झलकेला।
हालही में रिलीज भइल फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’ के भी सभे गीत ऊ खुद लिखले बानीं, जे भोजपुरी गीतन के पुरान सुनहरा दौर — शैलेन्द्र, मजरूह आ अंजान — के याद दिलावेला।
0 Comments