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काल्ह से चढ़ता सावन, भगवान शिव के आराधना के होला विशेष महत्व, पढ़ी पूरा रिपोर्ट अउरी जानी सावन के महत्व।

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काल्ह से चढ़ता सावन, भगवान शिव के आराधना के होला विशेष महत्व, पढ़ी पूरा रिपोर्ट अउरी जानी सावन के महत्व।

रिपोर्ट : संतोष कुमार द्विवेदी

नगरा, बलिया।श्रावण मास के मासोत्तम मास कहल जाला ।इ माह आपन हर एगो दिन में एक नया सवेरा दिखेला ,एकरा साथे जुडल समस्त दिन धार्मिक रंग अउरी आस्था में डूबल रहेला। धर्म शास्त्र में सावन के महात्म्य के विस्तार पूर्वक उल्लेख मिलेला ।श्रावण मास आपन एगो विशिष्ट महत्व रखेला । श्रवण नक्षत्र अउरी सोमर से भगवान शिव शंकर के गहरा संबंध बा।एह मास के प्रत्येक दिन पूर्णता खातिर होखेला । धर्म अउरी आस्था के अटूट गठजोड़  एह माह में दिखाई देला ।ए माह के प्रत्येक तिथि कवनो न कवनो धार्मिक महत्व के साथ जुडल बा । एकर हर दिन व्रत अउरी पूजा पाठ के खातिर महत्वपूर्ण रहेला । ए वर्ष श्रावण मास 25 जुलाई से प्रारंभ होके 22 अगस्त के रक्षाबंधन अउरी श्रावणी पर्व के साथे समाप्त होई।

             सनातन संस्कृति के अनुसार सभ मास के कवनो न कवनो देवता के साथे संबंधित देखल जा सकता , जबकि श्रावण मास के भगवान शिव जी के साथे देखल जाता । श्रावण मास में शिव आराधना के विशेष महत्व होखेला।इ माह आशाओं के पुर्ति के समय होला । जबकि प्रकृति गर्मी के थपेडों के सहत  सावन के बौछारन से आपन प्यास बुझाता  असीम तृप्ति अउरी आनंद के पाती बा। प्राणियन के सूनापन के दूर करने खातिर इ माह भक्ति अउरी पूर्ति के अनुठा संगम दिखेला अउरी सभ के अतृप्त इच्छाओं के पूर्ण करे के कोशिश करत बानी ।25 जुलाई से आरम्भ श्रावण मास में 27 जुलाई के संकष्टी गणेश चतुर्थी,4 अगस्त के कामदा एकादशी,6 अगस्त के मास शिवरात्रि व्रत,11 अगस्त हरियाली तीज,13 अगस्त के नागपंचमी, 18 अगस्त के पुत्रदा एकादशी, अउरी 22 अगस्त के रक्षा बन्धन अउरी श्रावणी पर्व के साथ समाप्त होई।


जलाभिषेक के साथे पूजन

            भगवान शिव एह माह में आपन अनेक लीला रचे ले। एह महीना में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रन के जाप के साथे ही भगवान शिव के प्रसन्न करे के खातिर  लघु रुद्र, महारुद्र अतिरुद्र के पाठ करने से सुख, समृद्धि, वैभव में वृद्धि होखे ला । पूर्णिमा तिथि के श्रवण नक्षत्र के साथ योग होखे पे श्रावण माह के स्वरुप प्रकाशित होखे ला । श्रावण माह में शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग  धातु से निर्मित लिंग के गंगाजल अउरी दुग्ध से रुद्राभिषेक करे के चाही।वैदिक विद्वान पं संतोष दूबे के मुताबिक शिवलिंग के रुद्राभिषेक भगवान शिव के अत्यंत प्रिय बा। सावन में शिवलिंग पे गंगा जल द्वारा अभिषेक करें से भगवान शिव अति प्रसन्न होखे ले।शिवलिंग के अभिषेक महाफलदायी मानल गईल बा। पं संतोष दूबे बतइनी कि एह दिन में अनेक प्रकार से शिवलिंग के अभिषेक करे के चाही ‌ जवन अलग अलग फल के प्रदान करे वाला होखे ला ।जैसे की जल से अभिषेक करें पे वर्षा अउरी शितलता के प्राप्ति होखी । दुग्ध से अभिषेक करे अउरी घृत से अभिषेक करे पे योग्य संतान के प्राप्ति होखी । ईख के रस से धन संपदा के प्राप्ति होई।कुशोदक से समस्त रोग अउरी व्याधि शांत होई । दही से पशु धन की प्राप्ति होई  अउरी शहद से शिवलिंग पे अभिषेक करें से लक्ष्मी के प्राप्ति होई।

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