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बलिया : पुस्तक विमोचन के मौका पर पुलिस महानिरीक्षक कहले, केदारनाथ सिंह जी के लेखन हमरा खातिर ओतने पवित्र बा जतना बाइबल, गीता आ कुरान।

बलिया : पुस्तक विमोचन के मौका पर पुलिस महानिरीक्षक कहले, केदारनाथ सिंह जी के लेखन हमरा खातिर ओतने पवित्र बा जतना बाइबल, गीता आ कुरान।

वाराणसी परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक के. सत्यनारायण जी कवि आ साहित्यकार डॉ. केदारनाथ सिंह के श्रद्धांजलि देत कहले कि देश के महान कवि आ साहित्यकार के सच्चा श्रद्धांजलि तबे होई जब उनुका पैतृक गांव चकिया के विकास के  उनकरा सपना के अनुरूप होखे।  उनुका के अनोखा अवुरी अविस्मरणीय बतावत पुलिस महानिरीक्षक सत्यनारायण कहले कि कि उनकर रचना लोग के अचानक उनका ओर मुड़े खाती मजबूर करेला।  सफलता के चरम पर पहुँचला के बाद भी महान कवि केदारनाथ सिंह गाँव के गरीबन के चिंता करत रहले।

उनकर गाँव के लोग से उनकर हमेशा संपर्क रहे।  देश-विदेश में रहला के बावजूद गाँव गिराव से उनकर गहरा लगाव रहे।  बुध के दिने उनकरा गाँव चकिया में डॉ. केदारनाथ सिंह के घरे तेलुगु भाषा में अनुवादित आत्मचित्रम नाम के किताब के विमोचन के मौका पर आयोजित एह समारोह में पुलिस महानिरीक्षक मुख्य अतिथि का रूप में संबोधित करत रहले। पुलिस महानिरीक्षक अपना संबोधन में कहले कि केदारनाथ सिंह के रचना के चलते हमार लगाव बढ़ल।  उनकर लेखन हमरा खातिर ओतने पवित्र बा जतना बाइबल, गीता आ कुरान।  खाली उहे लोग जानत बा कि उनकर रचना से लगाव भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद आ महान कवि के स्नेह से भइल रहे।  पुलिस महानिरीक्षक उनकरा रचना, कविता आ उनकरा व्यक्तित्व के विधिवत अध्ययन कइला के बाद उनकर कविता गौरईया का चेहरा, अकाल में सरस, एक पैर पर खड़ा हिमालय, तपती जमीन, सृष्टि पर पेहरा सहित डॉ. सिंह से अविभूत होके उनकरा सौ रचना के शामिल कइके तेलगु भाषा मे अनुवाद क के  आत्मचित्रम नाम के किताब लिखले।  जवन तेलुगु भाषा में बहुत मशहूर रहल।  

एह मौका प पुलिस महानिरीक्षक क्षेत्राधिकारी बैरिया उस्मान, कोतवाल धर्मवीर सिंह के संगे कार्यक्रम में भाग लेवे आईल प्रोफेसर अवुरी बाकी मेहमान के अंगवस्त्र अवुरी फूल के माला पहिन के सम्मानित कईले।  एह मौका पर प्रो सुभाष सिंह, शक्तिनाथ सिंह, रामजी सिंह, शैलेश सिंह, अरुण सिंह, हरेन्द्र वर्मा, मंजी पासवान, हरिहर सिंह आदि लोग पुलिस महानिरीक्षक आ वाराणसी से आइल मेहमानन के स्वागत कइल।  एकर अध्यक्षता प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह आ संचालन प्रोफेसर कामेश्वर सिंह कइले रहले।

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