विज्ञापन

दीपावली पर काहें कइल जाला मां लक्ष्मी अउरी गणपति के पूजा, इ बा धार्मिक वजह....

दीपावली पर काहें कइल जाला मां लक्ष्मी अउरी गणपति के पूजा, इ बा धार्मिक वजह....  


photo-internet



दीपावली पर काहें कइल जाला मां लक्ष्मी अउरी गणपति के पूजा, इ बा धार्मिक वजह....  
दीपावली के दिन माता लक्ष्मी अउरी श्रीगणपति के पूजा के बहुत महत्व बा। इनकर पूजा के बिना इ त्योहार अधूरा रहेला। लेकिन अक्सर मन में इ प्रश्न उठेला कि आखिर दीपावली पर मां लक्ष्मी अउरी गणेशजी के पूजा के बाकी देवता लोगन के अपेक्षा अतना वरीयता काहें दीहल जाता ? आइ, आज एही प्रश्न के उत्तर अउरी धार्मिक महत्व के  जानल जाऊ।

दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के महत्व

लक्ष्मी पूजा के महत्व बतावत सारण जिला के सोनपुर के हसनपुर गाँव के रहे वाला आचार्य गौतम बाबा जी बतावानी हा कि मां लक्ष्मी धन की देवी हइ, इ हम सभ केहू जानता । मां लक्ष्मी की कृपा से ही ऐश्वर्य अउरी वैभव के प्राप्ति होला। कार्तिक अमावस्या के पावन तिथि पर धन के देवी के प्रसन्न कइ समृद्धि के आशीर्वाद लिहल जाला। दीपावली से पहले आवे वाला शरद पूर्णिमा के त्योहार के मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव के तरह मनाया जाला। फेरु दीपावली पर उनकर पूजन कर धन-धान्य के वर लिहल जाला।

दीपावली पर गणपति पूजा का महत्व

गणपति पूजा के महत्त्व पर गौतम बाबा जी कहनी कि गणपति के बुद्धि के देवता कहल गइल बा। हिंदू धर्म में कवनों पूजा अउरी कर्मकांड गणपति के पूजा के बिना शुरू नइखे कइल जा सकत। दीपावली पर गणपति पूजा के इ भी एगो वजह बा। साथ ही धन देवी के पूजा से समृद्धि के आशीर्वाद मिलला के बाद व्यक्ति के सद्बुद्धि की आवश्यकता होला। ताकि उ धन के उपयोग सही काम खातिर कइ पावो। एही प्रार्थना के साथ दीपावली पर गणपति के पूजा कइल जाला कि हे प्रथम पूजनीय गणपति हमरा के सद्बुद्धि प्रदान कइ सन्मार्ग पर आगे बढे के वरदान दीं।

एकरा पीछे का बा धार्मिक विश्वास?

दीपावली कार्तिक मास के अमावस्या तिथि के मनावल जाला। जबकि एकरा से 15 दिन पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी जी के जनमोत्सव शरद पूर्णिमा के रूप में मनावल जाला। धार्मिक रीति के अनुसार, मां लक्ष्मी के पूजा के मुख्य दिन शरद पूर्णिमा ही बा जबकि दीपावली के दिन मां काली के पूजा मुख्य होखे के चाहि। एकरा कारण इ बा कि अमावस्या की रात मां कालरात्रि के रात होला जबकि शरद पूर्णिमा की रात धवल रात होला अउरी लक्ष्मी जी के प्राकट्य दिवस भी होला। शरद पूर्णिमा पर ही देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से उत्पन्न भईल रहली।

अमावस्या तिथि के स्वरूप मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप से संबंधित बा अउरी शरद पूर्णिमा के धवल स्वरूप मां लक्ष्मी के स्वरूप से। एहिसे शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी अउरी दीपावली पर मां काली के पूजा करेके चाहि। बदलत समय अउरी बाजारवाद के हावी होखला के साथ ही दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के प्राथमिकता दीहल जाये लागल। हालांकि दीपावली पर मां लक्ष्मी, कालरात्रि, गणपति के साथ ही ब्रह्मा,विष्णु अउरी महेश के पूजा कइल चाहि। पूजा के समय ब्रह्माजी बाया देवी सरस्वती, विष्णु जी के बाईं ओर देवी लक्ष्मी अउरी शिवजी के बाईं ओर मां पार्वती विराजित होखे के चाही।


vigyapan


Post a Comment

0 Comments