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पर्यूषण पर्व जैन परंपरा, संस्कृति अउरी आत्मावलोकन के महा पर्व- केसी जैन।

पर्यूषण पर्व जैन परंपरा, संस्कृति अउरी आत्मावलोकन के महा पर्व- केसी जैन।

रिपोर्ट :  डी०डी० यादव

सोनभद्र। अनपरा परम पावन पर्यूषण के एह महान पर्व पर अणुव्रत महासमिति के निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री कैलाश चंद्र सिंधी उर्फ केसी जैन अपना अभिव्यक्ति में विगत वर्ष जाने-अनजाने वश भइल त्रुटिन हेतु प्राणी मात्र से क्षमायाचना कइले।

उ कहले कि पर्यूषण पर्व विशुद्ध रूप से धार्मिक पर्व ह। एकर रूप लौकिक पर्वन से भिन्न बा। जैन श्वेतांबर आठ दिन के पयूषण पर्व मनावत त्याग, तपस्या, स्वाध्याय, उपवास, तप करत संवत्सरी पर्व के समापन पर प्राणी मात्र से क्षमायाचना करेले। जैन दिगंबर समाज के ओहि दिन से दस लक्षण पर्व शुरू होला। पर्यूषण पर्व जैन परंपरा, संस्कृति अउरी आत्मावलोकन के पर्व बा। सभ जैन अनुयायी पर्यूषण पर्व पर आराधना करत समभाव से अपना स्वयं के आत्मावलोकन करत सालभर में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष गलतिन ख़ातिर अंतर्मन से चौरासी लाख योनिन के सभ जीवन से क्षमायाचना कईके सहिष्णुता अउरी मैत्री के आराधना के मजबूती प्रदान करेला। एह पर्व पर जैन श्रावक गण शुद्ध रूप से प्राणीमात्र के प्रति मन, वचन अउरी काया के द्वारा भइल गलतिन के स्वीकारत दूसरा लोगन के गलती ख़ातिर क्षमा प्रदान करेले। आज संपूर्ण विश्व में एगो देश दूसरका देश अउरी एगो व्यक्ति दूसरका व्यक्ति के गलती के जरूर इंगित करेला। परंतु अपना गलती के कतई स्वीकृत ना करेला। अइसन प्रदूषित समय में एह पर्व के महत्व अउरी भी बढ़ जाला। जहां संपूर्ण वायुमंडल में चारो तरफ ईर्ष्या, बैर, कोध, वैमनस्यता अउरी अहंकार सरीखी मानवीय कमजोरि पैर पसार रहल बिया। अइसन पर्व के मनावे के सार्थकता तबे सिद्ध होई जब संपूर्ण राष्ट्र के जनता समाज में व्याप्त उपरोक्त कमजोरिन के विसर्जन करो। पर्यूषण पर्व प्रेरणा ह, तीर्थंकर चेतना के शरण में जाये के साधना ह, स्वयं के आत्मावलोकन आत्मावलोकन करत  आत्मिक, नैतिक अउरी चारित्रिक दृष्टि से उन्नत जीवन के ओर अग्रसर बने अउरी स्वयं के सुधरे के एगो अवसर प्रदान करेला। ई पर्व व्यक्ति के मुर्छा, परमार्थ, आलस्य अउरी भ्रम से बाहर लाके ओकरा के सच्चाई से परिचित कराबेला। एह पर्व के मुख्यउद्देश्य अहिंसा परमो धर्म, क्षमा वीरस्य भूषणम के सार्थकता के सिद्ध करेला ।

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