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भारत के मानवता वादी बिचारक कांशीराम जी, बहुजन नायक कांशीराम साहब के परिनिर्वाण दिवस पे विशेष।



भारत के मानवता वादी बिचारक  कांशीराम जी, बहुजन नायक कांशीराम साहब के  परिनिर्वाण दिवस पे  विशेष।

लेख- भगवन्त यादव, कुशीनगर

बहुजन के नायक सामाजिक परिवर्तक महानविद्वान कांशीराम जी के जन्म 15मार्च 1934के पिर्थीपुर बुगा ग्राम खबसपुर रुपनगर जिला पंजाब भारत मे भइल रहे । अउरी 9अक्टूबर 2006के देहावसान हो गइल इनकर परिनिर्वाण दिवस के भारत मे मनावल  जाता। उनकर जीवनी पे बतावल चाहम कि अधिकारी से समाज सुधारक अउरी राजनेता तक के जीवन के सफर एगो समय   जब  सरकार के सकारात्मक कार्रवाई के योजना के तहत पुणे में विस्फोटक अनुसंधान अउरी विकास प्रयोगशाला के जब  ज्वाइन कइ लिहले।जब उनकरा पहला बार जातिगत भेदभाव के अनुभव कइले। [कैसे?] उन्हा के  ऑफिस में देखनी कि जवन कर्मचारी बाबा साहब डॉक्टर भीम राव आंबेडकर के जन्मदिन मनावे के खातिर छुट्टी लेत बा। उनकरा साथ ऑफिस में भेदभाव कइल जाता । उ एह जातिगत भेदभाव के ख़त्म करे के खातिर 1964मे  एगो दलित सामाजिक कार्यकर्ता बन गइले।उनकर करीबी लोग के अनुसार उन्हा के इ निर्णय डॉक्टर आंबेडकर के किताब "एनीहिलेशन ऑफ कास्ट" के पढ़के लेले रहनी। कांशीराम जी के  बी. आर. अम्बेडकर अउरी उनकर दर्शन  काफी प्रभावित कइले रहे।


कांशीराम साहब  शुरू में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के समर्थन कइले । लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथे जुड़ल रहला के कारण उनकर एह पार्टी से मोह भंग हो गईल । एकरा चलते उन्हा के1971 में अखिल भारतीय एससी, एसटी, ओबीसी अउरी अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ के स्थापना कइनी जवन कि बाद में चलके 1978 में BAMCEF बन गइल । BAMCEF एगो एसन संगठन रहे जवना के उद्देश्य अनुसूचित जातियन अनुसूचित जनजातियन अन्य पिछडा  वर्ग अउरी अल्पसंख्यक के शिक्षित सदस्यन के अम्बेडकरवादी सिद्धांतन के दर्शन अउरी समर्थन करे के खातिर राजी करे के रहे। BAMCEF न त एगो राजनीतिक अउरी न ही एगो धार्मिक संस्था रहे एकर आपन उद्देश्य के खातिर आंदोलन करे का भी कवनो उद्देश्य ना रहे।  एह संगठन से दलित समाज के उ संपन्न तबका के इकठ्ठा करे के काम कइलस जवन कि ज्यादातर शहरी क्षेत्र छोटा शहर में रहत रहले अउरी सरकारी नैकारिय में काम करत रहले।


एकरा बाद कांशीराम साहब  1981 में एगो अउरी सामाजिक संगठन बनइले, जवना में दलित शोषित समाज संघर्ष समिति  DS4 के नाम से जानल जाला। उनकरा दलित वोट के इकठ्ठा करे के आपन कोशिश शुरू कइनी अउरी 1984 में उन्हा के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के स्थापना कइनी  ।उहा के आपन पहला चुनाव 1984 में छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा सीट से लड़नी । बीएसपी के उत्तर प्रदेश में सफलता मिलल, शुरू में दलित अउरी अन्य पिछड़ा वर्गों के बीच विभाजन के पाटना के खा संघर्ष कइनी,मानवता बादी भारत के स्थापना करे के  मकसद रहे।


सन 1982 में उन्हा के आपन पुस्तक 'द चमचा युग' लिखनी जवना में  दलित नेता के वर्णन करे के खातिर "चमचा" शब्द के इस्तेमाल कइले रहलले‌।उहा के तर्क दिहले कि दलित के अन्य दलन के साथे काम करे के  आपन विचारधारा से समझौता करे के बजाय आपन स्वयं समाज के विकास के बढ़ावा देवे के खातिर राजनीतिक रूप से काम करे के चाही।


बीएसपी के गठन के बाद, कांशीराम जी  कहनी कि उनकर 'बहुजन समाज पार्टी' पहला चुनाव हारना के खातिर दूसरा चुनाव नजर में आइला के खातिर अउरी तीसरा चुनाव जीते के खातिर लडी,1988 में उन्हा के  भावी प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह के खिलाफ इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़नी अउरी प्रभावशाली प्रदर्शन कइनी लेकिन 70,000 वोट से हार गईनी।


फेरू 1989 में पूर्वी दिल्ली (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोक सभा चुनाव लडनी अउरी चौथा स्थान पर रहनी। सन 1991 में, कांशीराम अउरी मुलायम सिंह  गठबंधन कइले अउरी कांशीराम जी इटावा से चुनाव लड़े के फैसला कइनी। कांशीराम जी आपन निकटतम भाजपा प्रतिद्वंद्वी के 20,000 मत से हरा के पहला बार लोकसभा में प्रवेश कइनी।एकरा बाद कांशीराम  1996 में होशियारपुर से 11वीं लोकसभा के चुनाव जीतनी अउरी दूसरी बार लोकसभा पहुंचनी।


बौद्ध धर्म ग्रहण करे के मंशा 


सन 2002 में, कांशीराम जी  14 अक्टूबर 2006 के डॉक्टर अम्बेडकर के धर्म परिवर्तन के 50 वीं वर्षगांठ के मौका पे बौद्ध धर्म ग्रहण करे के आपन मंशा के घोषणा कइनी।कांशीराम जी के मंशा रहल कि उनकरा साथे उनकर 5 करोड़ समर्थक भी एही समय धर्म परिवर्तन कई लेस। उनकर धर्म परिवर्तन के एह योजना के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इ  रहे कि  उनकर समर्थक के केवल अछूत ही शामिल ना रहे। बल्कि विभिन्न जातियन के लोग भी शामिल रहले जवन भारत में बौद्ध धर्म के समर्थन के व्यापक रूप से बढ़ा सकत रहले‌। हालांकि, 9 अक्टूबर 2006 के उनकर निधन हो गइल ।उनकर बौद्ध धर्म ग्रहण करे के मंशा अधूरा रह गईल।


 कांशीराम साहब ने तय कइले रहनी कि हम बौद्ध धर्म तभ ही ग्रहण करम  जब केंद्र में 'पूर्ण बहुमत' के सरकार बनी।    उहा के  धर्म बदलके देश में धार्मिक बदलाव तभ ही लावल जा सकत जब   हमारा हाथ में सत्ता होई अउरी हमारा साथे करोड़ो लोग एक साथे धर्म बदलते। यदि हम बिना सत्ता पे कब्ज़ा कइले धर्म बदल लेंम त हमारा साथ केहू खड़ा ना होई अउरी केवल 'हम दोनो' के ही धर्म बदली हमारा लोगन के ना।, एकरा से समाज में कवनो तरह के धार्मिक क्रांति के लहर ना उठी।


 काशीराम साहब के लिखल पुस्तक


सन 1982 में, कांशीराम जी "द चमचा युग" (The Era of the Stooges) नामक पुस्तक लिखनी, जवना उन्हा के  दलित नेताओं के खातिर चमचा (stooge) शब्द के इस्तेमाल कइनी उन्हा के कहनी कि इ दलित लीडर केवल आपन निजी फायदा के खातिर काम करत बाड़े।


उनकय पुस्तक बर्थ ऑफ़ BAMCEF भी प्रकाशित भइल रहे. ,कांशीराम के भाषण के एगो किताब के रूप में अनुज कुमार द्वारा संकलित कइल गईल बा।एह किताब के नाम बा "बहुजन नायक कांशीराम के अविस्मरणीय भाषण".एकरा अलावा कांशीराम साहब  लेखन अउरी भाषण के एस. एस. गौतम ने संकलित कइले रहले‌।जबकि कांशीराम द्वारा लिखल गईल सम्पादकीय बहुजन समाज पब्लिकेशन  1997 में प्रकाशित भइल।


अंत इ  कहल जा सकत बा  कि भारत में अम्बेडकरवाद अगर जिन्दा बा त एकर पूरा श्रेय सिर्फ कांशीराम जी के ही जाता । उन्हा के डॉक्टर आंबेडकर के मृत्यु के बहुजन आन्दोलन में पैदा भइल। शून्य के ख़त्म कई के बहुजन आन्दोलन के फिर से जीवित कइले रहनी उन्हा हम नमन करत बानी।


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