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हिंदी साहित्य के महान कवि स्व० केदारनाथ सिंह के जयन्ती पर विशेष : इहे हईं केदार नाथ सिंह : पढ़ी पूरा लेख।

हिंदी साहित्य के महान कवि स्व० केदारनाथ सिंह के जयन्ती पर विशेष :  इहे हईं केदार नाथ सिंह : पढ़ी पूरा लेख।

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ई साँच बा कि केदारनाथ सिंह जी अब नइखी, पर हमरा कभी ना लागल कि उहाँ का हमारा बीच मौजूद नइखी। उँहा में व्यक्तित्व के ई अद्भुत द्वैत बा कि उँहा का एक ही साथ उहां भी बानी अउरी ईहां भी हम सब के बीच में।हमनी के हर एक सांस में। रानीगंज बाजार से चकिया जाये वाली सड़क पर हम उहाँ के अब भी महसूस कर सकेनी।अपना घर में जब भी चाय पियेनी , हम उँहा के निरंतर महसूस करेनी।

हम जब भी बैरिया जात समय सड़क के ओह पार पानी ले जाये ख़ातिर बनल ओह साइफन के पास पहुंचेनी, जहां से गुजरत हम कन्नी काट के निकलल चाहत रहत रहनी अउरी उँहा का हमरा के रोकिके अक्सर डांटत रहनी। उहां से गुजरत, उँहा डांट के  भय से हम अब भी कन्नी काटल चाहेनी। भइल ई रहे कि एक बार उहां से गुजरत खेल खेल में, हम अपना एक मात्र पुत्र श्वेतांक के जब वह बहुत छोट रहले, ओह साइफन के अंदर लटकावे के कोशिश कइले रहनी।

उनकरा पैर के तनिये सा ही नीचे एगो विराट साँप पर जब नज़र पड़ल, जो उनकरा पैर के प्रतीक्षा में फन उठावले रहले त हमार होश उड़ गईल।पता ना हाथ यंत्रवत झटपट कईसे ऊपर उठ गईल। हमार बेटा घबराहट में हमरा छूट भी सकत रहले।पता ना कइसे उहाँ का ई बात पता चल गईल रहल।तब से अक्सर हमरा के ओहि रास्ता से ले जात रहनी। हम उँहा के साथ उहां जाये से बचल चाहत रहनी अउरी उहां ले जाके उँहा का हमरा के भरपूर डांटत रहले। पता ना काहें उहां से हम अभी भी गुजरल ना चाहेनी। हमरा अब भी उनकर डांट के डर लगेला।कईसे कहीं कि उहाँ का ईहां नइखी।

उहाँ के प्रणाम करी या श्रद्धांजलि स्वरूप नमन करी ई तय नइखी कर पावत। ई सब हम रउवा सब पर छोड़त बानी। हम अपना ओर से दुनों निवेदित करत बानी। जवन भी उचित होखे हमरा ओर से यथायोग्य।

भोजपूरी न्युज़ के टीम भी केदारनाथ सिंह जी के उँहा के जयंती पर नमन करतिया।🙏

लेखक - यशवंत सिंह जी (श्री स्व० केदारनाथ सिंह के परिवार के सदस्य), चकिया बलिया ( भोजपुरी में अनुवाद टीम भोजपुरी न्युज़ के द्वारा।)

सहयोग : श्वेतांक सिंह जी

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